हम अपने ही लोगों की नजर में एक मुर्ख बनकर रह गए ।
आध्यात्मिक इंसान को कभी चंचल नहीं होना चाहिय ।
अपनों की बेपनाह चाहत नें चंचल बना दिया ।
और इस चंचलता ने मुझे पुरी तरह कमजोर कर दिया ।
मैं परेशान रहा ,
क्यंकि मैंने लोंगो के भविष्य की परवाह की ।
लोंगो ने मुझे मुर्ख पाया ,
क्योंकि उन्होंने केवल अपना वर्तमान देखा ।
उन लोंगो ने वास्तविकता नहीं देखी ,
केवल औरों की बातें सूनी ,उसी को आधार मानकर
अपना निर्णय लिया ।
आज मैं अपना नजरिया बदलने जा रहा हूँ ।
क्योंकि समय ख़ुद को दुहराता है ।
दुनिया में अपनी रूचि और लगाव के अनुसार
अपने अन्दर की अच्छाइयां और बुराइयां बदलती रहती है ।
दुनिया में बहुत सी रहस्यमय बातें होती हैं ।
जो सच से हमेशा दूरी बनाए रखती हैं ।
बदती उम्र के साथ उसका केवल एहसास हो जाता है ।
आज लोगों की वजह से जो परेशानियां मेरे सामने आयीं ।
जिसे लोग यूँ ही छोड़कर भागते जा रहे है और मैं भी ।
कल यही परेशानियां एक बार फ़िर मेरे सामने आएँगी ।
उस बार लोग मेरी बातों को स्वीकार करेंगे ।
फ़िर भी उनसे अपनी तकलीफें कहने का मुझे मौका नहीं मिलेगा ।
क्योंकि हर बार की तरह मैं उन्हें माफ़ कर चुका होऊंगा ।
बस मेरे को एक बात सोचने को रह जायेगी ।
वर्षों पहले मैंने भविष्य बतलाकर चोट खाई ।
और आज वर्तमान देखकर चोट खायी ।
उसकी रूह तो मेरी गुलाम होकर रह जायेगी ।
लेकिन मेरे हिस्से में लगी ये चोट एक विरासत बनकर ,
मुझे परेशानियों में छिपी वो दिव्य आनंदमय ,
पर कष्टों में जकड़ी हुयी भविष्य की किसी परेशानी का
एहसास कराती रहेगी ।