Wednesday, November 21, 2012

वेदों की महिमा ----
हमारे प्राचीन  ऋषी  मुनियों   ने  जिस  ज्ञान -विज्ञान  से वर्षों  पहले  परिचित  करा दिया . वह  आज  भी  दुनिया  के  लिए आश्चर्य  है . वेद  जिसकी  हजारों  शाखाएं  बतायी  गयी है उनमे से केवल एक रिग्वेद  ही पुरी दुनिया  के लिए मार्गदर्शक बना  हुआ है .तो ये सोचने वाली बात है ,उन हजार शाखाओं में किस ज्ञान का वरणन  होगा .इसके लिए एक  कहानी है --
  महर्षि भारद्वाज  वेदाध्ययन  के बहुत शौक़ीन थे .उन्होंने 100 वर्षों तक वेदों की पढाई की .फिर भी उनकी इच्छा कम नहीं हुयी .उन्होंने 100 वर्ष की अतिरिक्त उम्र के लिए  देवराज इंद्र की तपस्या की  और पढाई  में लग गए .ऐसा करते हुए उन्होंने 300 वर्षो तक पदाई की .अंत में परेशान  होकर इंद्र से कहा -हे देवराज पूरा वेद पढने के लिए जितनी उम्र चाहिए मुझे देने  की कृपा करें .इंद्र ने बालू के 3 पर्वत बनाए जिनका कोई अंत नहीं था .इन्द्र ने 3 मुट्ठी  बालू उठाये  और दिखाते हुए कहा -हे ऋषि  आपने 300 वर्षो में जो पढाई  की है ,वो इस 3 मुट्ठी बालू जितने है ,और जिस पढाई  की आप बात कर  रहे है वो इस 3 पर्वत जितने है .तब इंद्र ने कहा -वेदों  का कोई अंत नहीं ,वेड अनंत है .

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