Wednesday, February 1, 2017

उनके व्यवहार से कोई आहत हो ,
यह उन्हें सह्य नहीं था। 
पर जीवन जगत में हमेशा ,
इससे बचे रहना भी  असंभव है।
        -व्योमकेश  दरवेश 









Monday, September 16, 2013

प्यार एक वादा है ,जिसे निभाना होता है।  
शादी एक विश्वास है ,जिसे करना होता है। 
दोस्ती एक जिम्मेदारी है ,जिसे ढोना होता है। 
समाज एक घर है ,जिसमे रहना ही होता है। 

Monday, July 22, 2013

अध्यात्म

श्रृष्टि  रचना के गूढ़ रहस्यों को समझ कर आत्मा -परमात्मा को आत्मसात कर लेना ही अध्यात्म है .हम तब तक किसी को आध्यात्मिक नहीं कह सकते जब तक कोई खुद को इश्वर का ही एक अंश महसूस न कर ले .केवल एक शक्ति जो स्वयं में ही स्वयं अनुप्राड़ित है ,वही से ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ और उसी में एक दिन दिन विलीन हो जाना है ,इस चक्र को समझ लेना ही अध्यात्म है .पर इस चक्र को परिभाषित करना ठीक वैसा ही है जैसा किसी बुधजीवी चींटी द्वारा मानवीय जीवन को परिभाषित करना .विज्ञान और अध्यात्म में मूलतः कोई अंतर नहीं है .केवल समझाने के तौर -तरीके अलग हैं .कोई भी नयी  चीज पहले हम खुद समझते है तब जाकर ओरों  को समझाते हैं .अतः अध्यात्म मतलब खुद जानना विज्ञान  मतलब दूसरों को बताना .अध्यात्म का श्रोत चेतना (सुपर कास्मिक पॉवर ) है जबकि विज्ञान  का श्रोत रश्मि (फोटान इनर्जी  )है .अध्यात्म अदृश्य है खुद तो समझा जा सकता है ,पर समझाया नहीं जा सकता .विज्ञान दृश्य है उसे बेहतर समझाया जा सकता है .पर अस्तित्व दोनों का है ,दोनों ही सार्थक हैं .जैसे उर्जा का स्थानान्तरण दोनों से होता है हर्टज़ से  तेराहर्त्ज़ से भी .





Tuesday, July 2, 2013

वह सोच ही है ...

इंसान की सोच ही इंसान को कामयाब भी बनाती है और नाकाम भी करती है .
वह सोच ही है जो आपको खुश भी करती है और दुःख भी देती है .
वह सोच ही है जो दुसरे दिलों से जोड़ती भी है और तोड़ती भी है .
प्रेमियों के लिए सोच एक गिलास पानी जितना है .
जिसका उन्हें हर पल लुडक जाने का भय है .
एक प्रेमी के लिए उसकी पूरी जिंदगी का निचोड़ बस उसका एक गिलास पानी है .
जिसे न तो खुद पिएगा न ही दूसरों को इसकी इजाजत देगा .
सवाल उस पानी का भी नहीं है सवाल उसकी पूरी जिंदगी का भी नहीं .
सवाल उस गिलास का है जिसमे वो पानी रखा है . 
सवाल उस गिलास के साइज का है जो की आपकी सोच है .
अगर उस गिलास की जगह एक बाल्टी होता या बाल्टी की जगह एक टैंक होता ,
या टैंक की जगह एक तालाब या पूरा समंदर होता जो आपकी सोच है .
तो क्या आप उस पानी के लिए लड़ते ;
उस पानी को क्या जिंदगी से ज्यादा अहमियत देते ;
नहीं ,आप बाँटते बगैर किसी नफ़रत के बगैर किसी स्वार्थ के ,बगैर किसी ख्वाहिश के .

        क्योंकि आपकी सोच का दायरा विशाल है .आपको उस एक समंदर के अन्दर
 करोड़ों गिलासें दिखेंगी ,फिर भी पानी का स्तर घटता हुआ नहीं दिखेगा .

       वो पानी जिंदगी की चाही गयी खुशियाँ है .उस पानी की सीमित मात्रा ही 
आपकी खुशनसीबी या बदनसीबी है .और वो गिलास आपकी सोच का दायरा .
आप अपनी सोच को समंदर की तरह विशाल बनाइये .आपकी जिंदगी में 
अफ़सोस नाम की कोई चीज नहीं होगी .

Monday, July 1, 2013

मै नफ़रत क्यों करूँ ?

मुझे ज़िन्दगी में कोई एक दो बार नहीं ,
लाखों करोड़ों बार मौका मिला .
दूसरों से नफ़रत करने का उनसे शिकायत करने का .
लेकिन आज तक मैं ये नहीं समझ पाया ,
श्रृष्टि की इतनी विशाल कोशिशों के बाद ,
इस नफ़रत ने मुझे क्या दिया .
जब भी अतीत में झांककर देखा ,
मुझे ऐसा कुछ भी नहीं मिला ,
जिससे मैं नफ़रत पे नाज करता .
मेरे हालात ने मुझे खामोश बनाया ,
मेरी खामोशियों ने मुझे सादा इंसान बनाया ,
मेरी सादगी ने मुझे सोचना सिखाया ,
और मेरी सोच ने लोगों के सामने ,
मुझे हंसना सिखाया .
ये हँसीं मेरी जिंदगी में ख़ुशी लेकर आई .
इस ख़ुशी में हमने पुरे ब्रह्माण्ड को शामिल किया .
और दूसरों ने कहा --
एक महाशक्ति का आगमन ,
इस धरती पे हो चुका है .
इस लगाव ने एक सोच दी .
हाँ ,सादगी गजब की चीज है .
ज़िन्दगी में हर किसी से प्यार ,
एक मुकाम हो सकता है ,
जो नफ़रत की बंदिशों से परे है .

उद्गम रिश्तों का ...

ब्रह्माण्ड की कोई भी चीज ,
खुद के लिए खुद नहीं है .
ब्रह्माण्ड की हर चीज ,
कहीं न कहीं किसी के लिए किसी समय में ,
किसी के  द्वारा प्रेरित है .
यहाँ तक कि ...
इंसान की ज़िन्दगी भी ,
खुद अपने लिये अपनी मर्जी की नहीं है .
कहीं न कहीं अपनी ज़िन्दगी भी ,
किसी के लिए किसी के द्वारा किसी समय में प्रेरित है .
शायद यहीं से ,
ब्रह्माण्ड में रिश्तों का जन्म हुआ .

Tuesday, March 5, 2013

दिल से ..

इन हाथों में हर वक्त चुभे कांटे फूलों की जगह ,
हमने जजबात निभाएं है उसूलों की जगह .
उसूलों पे चलते है  ,ये जीवन की जरूरतें है ,
जजबात निभाते है ,ये मानवपन की आदतें है .