बदल गया है कोई यार आसमान की तरह ,
में सदमे इश्क में सहता हूँ बेजुबान की तरह .
ग़मों को लेके जमाने की आंधियां आई ,
उजड़ गया है मेरा दिल भी गुलिस्तान की तरह .
किनारे लाके डुबोई है उसने ही कश्ती ,
वो एक यार जो मिलता था मेहरबान की तरह .
मरीज हम भी किसी के वो सच्चे आशिक है ,
रहेंगे मर के जमाने में दास्ताँ की तरह .
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