Monday, September 16, 2013

प्यार एक वादा है ,जिसे निभाना होता है।  
शादी एक विश्वास है ,जिसे करना होता है। 
दोस्ती एक जिम्मेदारी है ,जिसे ढोना होता है। 
समाज एक घर है ,जिसमे रहना ही होता है। 

Monday, July 22, 2013

अध्यात्म

श्रृष्टि  रचना के गूढ़ रहस्यों को समझ कर आत्मा -परमात्मा को आत्मसात कर लेना ही अध्यात्म है .हम तब तक किसी को आध्यात्मिक नहीं कह सकते जब तक कोई खुद को इश्वर का ही एक अंश महसूस न कर ले .केवल एक शक्ति जो स्वयं में ही स्वयं अनुप्राड़ित है ,वही से ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ और उसी में एक दिन दिन विलीन हो जाना है ,इस चक्र को समझ लेना ही अध्यात्म है .पर इस चक्र को परिभाषित करना ठीक वैसा ही है जैसा किसी बुधजीवी चींटी द्वारा मानवीय जीवन को परिभाषित करना .विज्ञान और अध्यात्म में मूलतः कोई अंतर नहीं है .केवल समझाने के तौर -तरीके अलग हैं .कोई भी नयी  चीज पहले हम खुद समझते है तब जाकर ओरों  को समझाते हैं .अतः अध्यात्म मतलब खुद जानना विज्ञान  मतलब दूसरों को बताना .अध्यात्म का श्रोत चेतना (सुपर कास्मिक पॉवर ) है जबकि विज्ञान  का श्रोत रश्मि (फोटान इनर्जी  )है .अध्यात्म अदृश्य है खुद तो समझा जा सकता है ,पर समझाया नहीं जा सकता .विज्ञान दृश्य है उसे बेहतर समझाया जा सकता है .पर अस्तित्व दोनों का है ,दोनों ही सार्थक हैं .जैसे उर्जा का स्थानान्तरण दोनों से होता है हर्टज़ से  तेराहर्त्ज़ से भी .





Tuesday, July 2, 2013

वह सोच ही है ...

इंसान की सोच ही इंसान को कामयाब भी बनाती है और नाकाम भी करती है .
वह सोच ही है जो आपको खुश भी करती है और दुःख भी देती है .
वह सोच ही है जो दुसरे दिलों से जोड़ती भी है और तोड़ती भी है .
प्रेमियों के लिए सोच एक गिलास पानी जितना है .
जिसका उन्हें हर पल लुडक जाने का भय है .
एक प्रेमी के लिए उसकी पूरी जिंदगी का निचोड़ बस उसका एक गिलास पानी है .
जिसे न तो खुद पिएगा न ही दूसरों को इसकी इजाजत देगा .
सवाल उस पानी का भी नहीं है सवाल उसकी पूरी जिंदगी का भी नहीं .
सवाल उस गिलास का है जिसमे वो पानी रखा है . 
सवाल उस गिलास के साइज का है जो की आपकी सोच है .
अगर उस गिलास की जगह एक बाल्टी होता या बाल्टी की जगह एक टैंक होता ,
या टैंक की जगह एक तालाब या पूरा समंदर होता जो आपकी सोच है .
तो क्या आप उस पानी के लिए लड़ते ;
उस पानी को क्या जिंदगी से ज्यादा अहमियत देते ;
नहीं ,आप बाँटते बगैर किसी नफ़रत के बगैर किसी स्वार्थ के ,बगैर किसी ख्वाहिश के .

        क्योंकि आपकी सोच का दायरा विशाल है .आपको उस एक समंदर के अन्दर
 करोड़ों गिलासें दिखेंगी ,फिर भी पानी का स्तर घटता हुआ नहीं दिखेगा .

       वो पानी जिंदगी की चाही गयी खुशियाँ है .उस पानी की सीमित मात्रा ही 
आपकी खुशनसीबी या बदनसीबी है .और वो गिलास आपकी सोच का दायरा .
आप अपनी सोच को समंदर की तरह विशाल बनाइये .आपकी जिंदगी में 
अफ़सोस नाम की कोई चीज नहीं होगी .

Monday, July 1, 2013

मै नफ़रत क्यों करूँ ?

मुझे ज़िन्दगी में कोई एक दो बार नहीं ,
लाखों करोड़ों बार मौका मिला .
दूसरों से नफ़रत करने का उनसे शिकायत करने का .
लेकिन आज तक मैं ये नहीं समझ पाया ,
श्रृष्टि की इतनी विशाल कोशिशों के बाद ,
इस नफ़रत ने मुझे क्या दिया .
जब भी अतीत में झांककर देखा ,
मुझे ऐसा कुछ भी नहीं मिला ,
जिससे मैं नफ़रत पे नाज करता .
मेरे हालात ने मुझे खामोश बनाया ,
मेरी खामोशियों ने मुझे सादा इंसान बनाया ,
मेरी सादगी ने मुझे सोचना सिखाया ,
और मेरी सोच ने लोगों के सामने ,
मुझे हंसना सिखाया .
ये हँसीं मेरी जिंदगी में ख़ुशी लेकर आई .
इस ख़ुशी में हमने पुरे ब्रह्माण्ड को शामिल किया .
और दूसरों ने कहा --
एक महाशक्ति का आगमन ,
इस धरती पे हो चुका है .
इस लगाव ने एक सोच दी .
हाँ ,सादगी गजब की चीज है .
ज़िन्दगी में हर किसी से प्यार ,
एक मुकाम हो सकता है ,
जो नफ़रत की बंदिशों से परे है .

उद्गम रिश्तों का ...

ब्रह्माण्ड की कोई भी चीज ,
खुद के लिए खुद नहीं है .
ब्रह्माण्ड की हर चीज ,
कहीं न कहीं किसी के लिए किसी समय में ,
किसी के  द्वारा प्रेरित है .
यहाँ तक कि ...
इंसान की ज़िन्दगी भी ,
खुद अपने लिये अपनी मर्जी की नहीं है .
कहीं न कहीं अपनी ज़िन्दगी भी ,
किसी के लिए किसी के द्वारा किसी समय में प्रेरित है .
शायद यहीं से ,
ब्रह्माण्ड में रिश्तों का जन्म हुआ .

Tuesday, March 5, 2013

दिल से ..

इन हाथों में हर वक्त चुभे कांटे फूलों की जगह ,
हमने जजबात निभाएं है उसूलों की जगह .
उसूलों पे चलते है  ,ये जीवन की जरूरतें है ,
जजबात निभाते है ,ये मानवपन की आदतें है .
बहुत हसीं है दिन ,रात खुबसूरत है .
तेरे शहर की हर बात खुबसूरत है .
अँधेरी रात हो या चांदनी का मंजर हो .
हर एक सफ़र में तेरा साथ खुबसूरत है .
फिजा में मस्ती है तारों में रोशनी है अभी .
अभी न जाओ अभी रात खुबसूरत है .
नसीब रोज का मिलना  बुरा नहीं लेकिन .
कभी कभी की मुलाक़ात खुबसूरत है .

Monday, March 4, 2013

कोई तो है ..

हर तरफ हर जगह हर कहीं पे है,
 हाँ उसी का नूर .
रोशनी का कोई दरिया तो है,
 हाँ कहीं पे जरुर .
ये आसमान ये जमीं, चाँद और सूरज ,
क्या बना सका है कभी कोई भी कुदरत .
कोई तो है जिसके आगे है आदमी मजबूर .
इंसान जब कोई है राह से भटका ,
 किसने दिखा दिया उसको सही रास्ता .
कोई तो है जो करता है मुश्किल हमारी दूर .


मेरा गम और मेरी ....

मेरा गम और मेरी  हर ख़ुशी तुमसे है ,
जानेमन ये मेरी जिंदगी तुमसे है .
यै  मेरी जानेजां ये मेरी मेहरबान
 तुमसे रंगीन है ये जमीं आसमान 
तुमसे आबाद है मेरे दिल का जहां 
तुम मेरा चाँद हो तुम मेरी रौशनी .
तू निशानी मोहब्बत के मंजिल की है ,
तेरे दम से हसीं अंजुमन दिल की है ,
फैसला है यही बात है ये अटल 
हुस्नवालों में तेरा नहीं है बदल .
गीत का हुस्न हो,हुस्न का हो गजल 
शायरों की हसीं शायरी तुमसे है .
मेरा गम और मेरी हर ...

बदल गया है कोई दोस्त ...

बदल गया है कोई यार आसमान की तरह ,
में सदमे इश्क में सहता हूँ बेजुबान की तरह .
ग़मों को लेके जमाने की आंधियां आई ,
उजड़ गया है मेरा दिल भी गुलिस्तान की तरह .
किनारे लाके डुबोई है उसने ही कश्ती ,
वो एक यार जो मिलता  था मेहरबान की तरह .
मरीज हम भी किसी के वो सच्चे आशिक है ,
रहेंगे मर के जमाने में दास्ताँ की तरह .

jagjit singh

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा ,
मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा .
दिले नादाँ न धड़क ये दिले नादाँ न धड़क ,
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा .
गुल से लिपटी हुयी तितली को गीराकर देखो ,
आंधियां तुमने दरख्तों को गिराया होगा .
कैफ परदेश में मत याद करो अपना मकान ,
अबके बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा .

Sunday, March 3, 2013

चित्रा  सिंह की एक खुबसूरत गजल ...
सफ़र में धुप तो होगी ,जो चल सको तो चलो .
सभी है भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो .
किसी के वास्ते राहे कहाँ बदलती है ,
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो .
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता ,
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो . है 
यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदे 
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो .


Tuesday, February 26, 2013

कश्मकश मोहब्बत की ...


वो आसमां घंटों झुककर मेरी राह देखता रहा ,
मै तड़ित प्रभा की वृष्टि समझ वर्षो  डरता रहा .
वो खौफनाक चमक की चाहत पे रोता रहा ,
मै वर्षों क्या हुआ कैसे हुआ यही सोचता रहा .

Monday, February 11, 2013

                नासदीय सूक्त --
श्रृष्टि में बहुत से विद्वान हुए बहुत सी किताबें लिखी गयी .हर किसी ने श्रृष्टि और सभ्यता के शुरुआत को अपने हिसाब से बताया .हर कोई विज्ञानं के आगे नतमस्तक हो गया .दुनिया में उपनिषद ही एक ऐसी किताब है जिसके आगे खुद विज्ञानं सर झुकाता है .उपनिषद के नासदीय सूक्त के अनुसार ..

Sunday, February 3, 2013

जिंदगी किसी की आँखों में प्यार से ,
देखने का नाम है .या फिर प्यार देखने का .

Saturday, February 2, 2013

पहले प्यार का पहला एहसास ...
जिसे कभी दुहराया नहीं जा सकता .
जिसे कभी समझा नहीं जा सकता .
मगर वह होता है 
नदी में बहते पत्थर की तरह ,जो आपस में टकराते है .
कभी पत्थर पानी से नाराज होता है ,कभी पानी पत्थर से नाराज होता है .
मगर दोनों साथ बहते है ,यही उनकी मोहब्बत है ,उनकी अपनी प्रेम कहानी .
तो पहली मोहब्बत का पहला एहसास कुछ यु होता है ....
जिसे देखकर मन खुश हो जाए .
जिसके अचानक सामने आने पे दिल धड़क जाए .
जिसके साथ शरारते करने को जी चाहे ,
कुछ बोलने पे गुस्सा आ जाये .
दिल कुछ कहना  चाहता है मगर कह नहीं पाता .
दिल कुछ सुनना चाहता है मगर सुन नहीं पाता .
सामने आ जय तो उसे परेशान करने को मन करता है ,
उसपे गुस्सा उतरने को मन करता है .
वही जब आँखों से दूर चला जाय तो मन बेचैन हो जाता है .
चेहरे पे मायूसी छा जाती है .

Friday, February 1, 2013

                  जिंदगी झूमकर मुस्कुरायी ....
विश्वास की थाली में किसी ने दुआये ,भर भर के भिजवाई है ,
जिंदगी झूमकर मुस्कुरायी ,चेहरे पे रौनक बिखर आई है .
और यही कहने को आ रहा है ...
वो कौन सी हस्ती है जिसने ,
मेरे कर्मों में टांग अड़ाई है ,
दुष्टात्मा नहीं परमात्मा होगी वो ,
जिसने इस दिल में हलचल जगाई है .

Thursday, January 31, 2013

आस्था थोपी नहीं जाती ---
विश्व सभ्यता की एक अद्भुत सी उपज ,
जो दिखाई नहीं देती ,मगर हर कोई दिल से महसूस करता है .
सभ्यताए बहुत सी आई ,आकर चली गयी ,अभी आगे और भी  आएँगी .
हर किसी ने इसे अपने ढ़ंग से परिभाषित करना चाहा  ,
लेकिन लोग अगर कुछ समझ पाए तो बस आस्था .
आस्था को किसी ने  प्रेरित नहीं किया ,
लोगो के अन्दर खुद अपनी मर्जी से आई .और आई तो ऐसी  ,
मानव मस्तिष्क से कभी गई ही नहीं .
आदिमानव नंगे रहते थे ,कोई भाषा नहीं थी ,कोई नियम नहीं था .
किसी एक ने खुद को ढाला  देखकर सब लोग ढल गए .
उसने ये नहीं कहा मेरी तरह तुम भी करो ,और एक सभ्यता बन गयी .
क्योकि उसमे कुछ बात थी लोगो ने कुछ बेहतर महसूस किया .
धर्म भी कुछ ऐसा ही है ,हमें जो पसंद हो हम खुद पर लागू कर सकते है ,
लेकिन हम ये दबाव नही बना सकते की तुम भी यही करो .
अगर धर्म बेहतर है तो अपने आप फिजाओं  में बिखर जाएगा .
उसे बिखेरने की जरुरत नहीं पड़ेगी .  इतिहास गवाह है ,
जो धर्म खुद फैला उसकी हस्ती कभी मिटी ही नहीं ,
जिसे फैलाया गया उसमे कोई न कोई कशिश रह गयी .
मेरा मानना है धर्म का प्रचार न करे बल्कि खुद को उसमे ढाले ,
धर्म अपने आप फ़ैल जाएगा बिना किसी विरोध के ,
क्योकि हर धर्म का मूल एक ही है इंसानियत और एहसास .
किसी के भावनाओं को बिन कहे महसूस कर पाना ही धर्म है।
यही आस्था है इसे थोपा\नहीं जा सकता .



Wednesday, January 30, 2013

 एक परिभाषा प्रेम की -
मोहब्बत एक ऐसा शब्द है ,जो एक अजनबी को अपना बना दे .
मोहब्बत एक एहसास है ,जो पल भर में अपने को बेगाना बना दे .
हम नहीं जानते हमने जिन्दगी में मोहब्बत की या नहीं .
हम नहीं जानते किसी को हमसे मोहब्बत है या नहीं .
लेकिन हमसे कोई ये सवाल करे की मोहब्बत का हो जाना सही है या गलत .
तो मेरा जवाब होगा-------
न तो मोहब्बत की शुरुआत  गलत है,
न तो मोहब्बत का आगाज गलत है।
गलत है तो बस ,
मोहब्बत में कामयाब होने पर  दुनिया  भुला  देना .
और नाकाम होने पर ,खुद को भुला देना .
मोहब्बत एक ऐसी मिसात है ,
जिसकी कामयाबी इंसान  बना दे .
और मोहब्बत की नाकामी इंसान को भगवान्  बना दे .
इंसान बनना भी एक अदा है ,भगवान्  बनना  भी एक अदा है .
मोहब्बत जिसे इंसान बनाए ,
वो मोहब्बत की रौशनी से दिवाली  मनाता  है .
मोहब्बत जिसे भगवान् बनाए ,
वो खुद को जलाकर औरों के घर रोशन  करता है।