ज़िन्दगी उम्मीद के फूलों से भरा एक सुंदर सा गुलदस्ता है । जिसकी खूबसूरती
को बनाए रखने के लिए द्रिड़ता जैसी देखभाल की जरुरत पड़ती है ।
लेकिन कभी ऐसे हालात आ जाते है जब इसकी जिम्मेदारी में किसी और को भी
शामिल करना पड़ जाता है ,और हमारी सुद्रिड़ता दो भागों में बँट जाती है ।
ऐसा ही कुछ जब हमारे साथ हुआ ,तो ह्रदय ने उछल कर बड़े ताव से कहा ------
"वो कौन सी शक्ति है ,
जिसने मेरे कर्म में टांग अडाई है ।
दुष्टात्मा नहीं परमात्मा होगी वो ,
जिसने इस दिल में हलचल जगाई है । "
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