Sunday, June 21, 2009

प्रकृति

प्रायः यही माना जाता है मानवीय जीवन के श्रीष्टिकर्ता का नाम ही प्रकृति है , लेकिन मेरी नजर में प्रकृति एक स्थायित्व का नाम है । जिससे परे कोई सोच नही ।
जैसे -----------------------
कवि जब अपनी कल्पना से थक जाता है ,
उसकी खामोशी का नाम प्रकृति है ।
वैज्ञानिक जब विज्ञानं में थक जाता है ,
उसकी उलझन का नाम प्रकृति है ।
डाक्टर जब इलाज से हार जाता है ,
उसके विनम्र अफ़सोस का नाम प्रकृति है ।
इन्सान का दिमाग जब काम करना बंद कर देता है ,
उसकी खामोश संतुष्टि का नाम ही प्रकृति है ।
ब्रम्हांड में जब सभी अविष्कार एक साथ मिलते हैं ,
उससे जन्म लेने वाली विनाश ही प्रकृति है ।
समस्त मानव जाती जब संकट में खामोश हो जाती है ,
तब आने वाले अंजाम का नाम ही प्रकृति है ।

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