Tuesday, June 30, 2009

तब रिश्ते बने ----

तब रिश्ते बने ,
जब खास समय दिया किसी खास को ।
तब रिश्तों ने उडान भरे ,
जब सिलसिले शरू हुए मिलने के ।
तब रिश्ते प्रगाड़ बने ,
जब भावनाओं का मिलन हुआ ।
एक उम्मीद जगी वफादारी की ।
तब रिश्तों में विश्वास जगे ,
जब हर सोच पूर्व अनुमानित हुए ।
तब रिश्तों नें खुशी देखे ,
जब कोई गुप्त बात दूसरो से पहले मिले ।
तब तक रिश्तों नें बहार देखे ,
जब तक ये सिलसिले चलते गए ।

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