प्यार एक माध्यम है ,ज़िन्दगी में हर तरह के सीख से रिश्ता
जोड़ने का । प्यार वह समंदर है जिसमें जिंदगी के सारे अनुभव
एक साथ मिलते है । प्यार ,खुशी ,मायूशी ,एहसास ,उत्साह ,बेताबी ,
अफ़सोस ,क्रंदन से लेकर मानवीय जीवन के हर भावः -भंगिमाओं
का एक अदभुत सा संगम है । अतः ----------
"हे इश्वर वैसी आँखों को उस नमी से बचाना ,
जो उसका बोझ न उठा सकें । "
सच्चे प्यार की आधुनिक परिभाषा -------
मेरी नजर में जब इन्सान ख़ुद से ज्यादा किसी और की
परवाह करने लगता है ,तो उसे प्यार कहते हैं ।
जब उसकी कामयाबी में अपनी खुशी दिखने लगे ,
तो इसे प्यार की शुरुआत कहते हैं ।
और उन खुशियों को कायम रखने के लिए ,
जब वह स्वयं को पुरी तरह समर्पित कर दे ,
तो उसे प्यार की हद कहते हैं ।
जब उस प्यार को समाज स्वीकार करने लगे ,
तो उसे इश्वर का आशीर्वाद कहते हैं ।
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