जिस तरह समंदर में उठने वाली लहरों की कोई
सीमा -सरहद नहीं होती ,वैसे ही इंसान के दिमाग
में उठने वाली इच्छाओं की कोई पहचान नहीं होती ।
जब इंसान बहुत खुश होता है तो उसे दुनिया में ,
दिखने वाली नाकामयाबियाँ परेशान करती हैं ।
जब इंसान परेशानियों में जीता है तो उसे ,
औरों की खुशियाँ परेशान करती हैं ।
अतः हमने अपने जीवन में जो कुछ देखा बस यही पाया ----
जब कोई जीवन के सकारात्मक पहलुओं को
स्वीकार करता है तो उसे
चारों दिशाओं में केवल ना दीखता है ।
जब वह ना में जीता है ,
तो मन हाँ तलाशता है ।
अतः -----
ज़िन्दगी की इस तलाश में इच्छाओं का अमृत --
अगर मिल गई तो मंजिल ,
ना मिला तो रास्ता ।
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