रुडयार्ड किपलिंग की एक रचना मुझे बचपन से प्रभावित करती रही जिसमें कहा गया है
तुम महान हो ,तुम महान हो , तुम महान हो ,
जब तुम्हारा सब कुछ खो गया हो ,
जब तुम पर हजार दोष लगे हो ,
इसके बावजूद तुम ख़ुद को सबके सामने रख सको ।
तुम महान हो , तुम महान हो , तुम महान हो --
जब दुनिया तुम पर शक करे ,
तुम पर हजार आरोप साबित कर दे ,
और तुम अपने आप पर विश्वास रख सको ।
तुम महान हो -----
जब तुमसे लोग नफरत कर रहें हो तुम्हे गाली दे रहे हो ,
और तुम इंतजार कर सको , इन्तजार से कभी थक न सको ,
लोग तुम्हे बुध्धिमान कहे या मुर्ख ,
तुम घबरा न सको ।
तुम महान हो ----
यदि तुम्हारे अन्दर सपने तो आयें ;
लेकिन तुम उसके दास न बन सको ,
तुम्हारे अन्दर बुरे ख्याल तो आयें ;
लेकिन वे सभी इरादे न बन सकें ,
यदि तुम सुख दुःख दोनों में साम्य रह सको ,
tum mahaan ho ------
यदि औरों की तीखी बातें सुन सको ,
बरबाद होकर भी बर्बादी को संपन्नता में बदल सको ,
हार कर भी जीत सको ,
रूककर आँधियों का सामना कर सको ;
कभी अपनी नुक्सान पर अफ़सोस न कर सको ;
हजार अड़चनों के बाद भी लोगों की मदद कर सको ;
तुम महान हो --------
यदि राजा होने के बाद भी गरीब का साथ न छोड़ सको ;
लाखों की भीड़ में अपनी विशेषता जमाये रख सको ;
अपने जिंदगी की मनहूस दिन chand लम्हों में भुला सको ;
हजार दोस्तों द्वारा लूटकर भी स्थिर रह सको '
ज़िन्दगी को हमेशा हर पल एक सा बनाए रख सको '
अगर ऐसा कर सको तभी तुम महान हो ,
ये धरती तुम्हारी है , इसकी हर एक चीज तुम्हारी है ,
इस dharati के लोग तुम्हारे है ।
bahut achha lagaa yah dekhkar !
ReplyDeletekavitaa kaa anuvaad badhiyaa hai . shbd ke str par kuchh sudhaar kii gunjaaish hia . baaki sab thik hai .
blaag ki setting se comment me word varification hataa dijiye.
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