
मैं महात्मा उसी को मानता हूँ । जिसका ह्रदय
गरीबों के लिए रोता है । जिसके नश्वर शरीर में
कुछ कर गुजरने की क्षमता भले न हो ,
लेकिन उसकी विचारशक्ति इतनी शक्तिशाली हो ,
की अंगुलिमाल जैसे डाकू को भी मानवता का एहसास करा दे ने वाली बुध्ध जैसी चमक हो ।
मैं महात्मा उसे मानता हूँ ,जिसके पास गरीबों की मदद के लिए भले ही कुछ न हो ,लेकिन उसके पास इतनी चलायमान शक्ति हो जिससे वह दूसरों को कम से कम इसका एहसास करा सके ।
महात्मा वही है जिसके अन्दर मानव जाती के अन्दर से समस्त निर्विकारों को मिटाकर
कम से कम एक सच्चा इंसान बना देने की क्षमता हो ।
महात्मा वो है ,जनमानस के बीच जिसकी मौजूदगी आध्यात्मिकता का एहसास करा दे ।
मेरी नजर का महात्मा वो है ,जिसके प्रस्थान के बाद भी उसके अनमोल वचन उन
वादियों में गूंजती रहें .ताकि जब भी कोई शान्ति की तलाश में अपनी आँखें बंद करें ,
वो गूंज हमेशा के लिए उसे अपने आगोश में ले सके ।
सही है
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